July 2016
अक्षरपर्व ( अंक 202 )
हितेश व्यास, पुणे।
ललित जी किसी भी विषय पर लिखें, उसमें उनका अध्ययन बोलता है। लगभग यही बात सर्वमित्रा जी के उपसंहार पर लागू होती है। फरवरी अंक की प्रस्तावना हिन्दी के प्रथम शब्दकोश पर है और उसके बाद श्याम सुन्दर दास द्वारा लिखित हिन्दी शब्द सागर के प्रथम संस्करण की भूमिका है। यह अपने आप में एक इतिहास है। सर्वमित्रा सुरजन का उपसंहार कृष्णा सोबती पर है। उपसंहार से पहले सोबती जी की कहानी सिक्का बदल गया और उस पर पल्लव जी का अंतर्पाठ है। महेंद्र राजा जैन यद्यपि उसने कहा था पर अधिक नहींकह पाए हैं, परंतु उन्होंने कहानी की जन्मशती तो मनाई है। जाफर मेहदी जाफर ने परियां कहानी के अंत में प्रमोशन की बात लाकर उसे सुखांत बना दिया है। रामनाथ शिवेन्द्र ने शायद वह औरत थी कहानी में नक्सलवादियों का सकारात्मक अंक:चित्र खींचा है। अशोक गुजराती की कहानी में बाजारवाद की विडंबना है। निवेदिता जैना की उडिय़ा कहानी माओवादी के प्रतिभू बनर्जी कृत अनुवाद में व्यवस्था की खलनायकी और उसका माओवादी अंत बताया गया है। पं.गुणसागर सत्यार्थी ने रायप्रवीण के चरित्र को प्रामाणिकता के साथ उज्ज्वल सिद्ध किया है।