April 2015
अक्षरपर्व ( अंक 187 )
अक्षर पर्व को मैं अक्षरों की ईद कहूं या दीवाली
या कहूं आवाज है समाज के आखिरी व्यक्ति की
जो सिसकियां भर रही है महानगरों के चौराहों में
गांव के खेत खलिहानों में।
डॉ. रामचन्द्र 'सरस'
संपादक 'माटी', कमासिन- बांदा
मो. 09451093745, 09125501298